Shodashi - An Overview

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

Shodashi’s mantra boosts devotion and faith, aiding devotees set up a deeper relationship on the divine. This advantage instills have faith in from the divine procedure, guiding folks through complications with grace, resilience, and a way of function within their spiritual journey.

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

The choice of mantra kind is not basically a matter of desire but reflects the devotee's spiritual plans and the character of their devotion. This is a nuanced aspect of website worship that aligns the practitioner's intentions with the divine energies of Goddess Lalita.

Over the sixteen petals lotus, Sodhashi, that's the form of mom is sitting with folded legs (Padmasana) removes every one of the sins. And fulfils many of the needs with her sixteen types of arts.

ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-

श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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